
Ravi sen durg.
प्रथम पूज्य गणपति भगवान 11 दिनों तक पृथ्वी पर वास करने के उपरांत अपने निजधाम के लिए लौट जाएंगे. ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश धरती पर विराजकर अनंत चतुर्दशी के दिन अपने निजधाम लौट जाते हैं। अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व के बाद,जब ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तु जल्दी आ’ की घोष के साथ ही गजानन को विदाई देने का क्रम शुरु हो चुका है।
शहर, गांवों में भी दर्जनों जगह पर भगवान गणपति को विराजित किया गया था। कोरोना संक्रमण काल की वजह से बीते दो सालों से गणेशोत्सव उस तरीके से नहीं मनाया जा रहा है, जैसा पूर्व में आयोजित किया जाता था। वहीं विसर्जन के अवसर पर विभिन्न तरह की झांकियां, जो आकर्षण का केंद्र हुआ करती थीं, उसका भी अभाव देखने में आ रहा है।
बगैर डीजे, लाइट, चकाचौंध के भी भगवान गणेश की विदाई उतने ही उत्साह से शुरु हो चुकी है। उत्साह इस बात का कि गणपति भगवान आने वाले साल में कोरोना से निजात दिलाकर लौटेंगे और फिर वैसा ही खुशनुमा माहौल होगा, जैसा हमेशा होता रहा है।
◆ हर वर्ग होता है उत्साहित
गणेशोत्सव एक ऐसा पर्व है, जिसमें हर वर्ग, हर उम्र के लोग उत्साहित होते हैं। खासतौर पर बच्चों के लिए यह अवसर बेहद दिलचस्प होता है, क्योंकि इस अवसर पर जहां तरह—तरह की झांकियों का दर्शन करने को मिलता है, वहीं विभिन्न तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन भी होता है, जिसमें बच्चे हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा से लोगों को परिचित कराते हैं।
◆ बस यही है कामना
गणपति की विदाई हो रही है। हर कोई भगवान गणेश से यही कामना कर रहा है कि अबकि बार कोरोना संक्रमण से देश को पूरी तरह से मुक्त कर अगले बरस जल्दी आना। ताकि आपके आगमन पर उत्सव मनाया जा सके और स्वच्छंद वातावरण में लोग रह सकें।