
Sanju mahanjan
▶️बैताल रानी घाटी का इतिहास ग्रामीणो ने हमारे प्रतिनिधि संजू महाजन को बताए , DNnews बना केवल एक माध्यम
राजनांदगांव ! DNnews- संस्कार धानी राजनांदगांव जिले के संगीत नगरी खैरागढ़ होते हुए छुईखदान से लगभग 25 – 30 किलोमीटर की दूरी में स्थित बैताल रानी की प्रतिमा के नाम से घाटी !
हसीन वादियों में अनेकों गहरे राज छिपे होते हैं. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के छुईखदान ब्लाक में ऐसी ही एक जगह हसीन वादियों से घिरी हुई है जिसका नाम बैताल रानी घाटी है.
ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, हरे-भरे घने जंगल के बीच बैताल रानी घाटी के खतरनाक मोड़ एवं गहरी खाईयां यह घाटी रोमांच, आध्यात्म के साथ-साथ मन को प्रफुल्लित करने वाले दृश्यो का भी सुखद अहसास कराती है. यही कारण है कि इन दिनों बड़ी संख्या में पर्यटक बैताल रानी घाटी की ओर आकर्षित हो रहे है. छत्तीसगढ़ की सबसे खूबसूरत और खतरनाक केशकाल, चिल्फी जैसी घाटियों में अब राजनांदगांव जिले में स्थित बैताल रानी घाटी का भी नाम शुमार हो गया है.

▶️बैताल रानी घाटी का इतिहास
धमधा के राजा ने इसी घाटी में अपनी ही रानी के कर दिये थे टुकडे
इतिहास का अपना महत्व होता है किसी भी स्थान के नाम के पीछे भी कोई कहानी या इतिहास जरूर होता है, इतिहास के कारण ही किसी भी प्राचीन घटना या किसी क्षेत्र विशेष के बारे में अच्छे से जान सकते हैं इसी तरह का इतिहास बैताल रानी का भी है.
DNnews के संवाददाता संजू महाजन अपनी टीम के साथ बैताल रानी घाटी के नामकरण और इसके पीछे इतिहास जानने पहुंचे
बसंतपुर स्थित प्राचीन बैताल रानी मंदिर पहुंची , घाटी क्षेत्र के जानकारों और स्थानीय ग्रामीणों ने इस मंदिर और घाटी में छुपे कई गहरे राज को उजागर करते हुए इससे जुड़े कई चौंकाने वाली जानकारी हमारी टीम को दी.
बैताल रानी की प्रतिमा किवदंती के अनुसार बैताल रानी मध्यप्रदेश के लांजी राज की राजकुमारी थी , जिसका विवाह धमधा(दुर्ग) हरिश्चंद्र नाम के राजा के साथ हुआ , राजा हरिश्चंद्र के ठाकुरटोला के राजा के साथ मधुर संबंध थे राजा और रानी को इस घाटी का मनोरम प्राकृतिक वातावरण काफी भाता था अक्सर धमधा का राजा ठाकुरटोला में आकर रुका करते थे.

जनश्रुति के अनुसार बैताल रानी को एक चरवाहे से प्रेम हो गया था रानी छुप-छुपकर चरवाहे के साथ मिला करती थी इसी बीच राजा हरिश्चंद्र को गुप्तचरो के माध्यम से बैताल रानी और चरवाहे के प्रेम संबंध की सूचना मिली राजा हरिश्चंद्र ने इस बात की पुष्टि हेतु अपने गुप्तचोरों को बैताल रानी और चरवाहे के प्रेम संबंध की पुष्टि के लिए नियुक्त किया गुप्तचरो ने इस बात की पुष्टि कर इसकी जानकारी राजा हरिश्चंद्र को दी इसी बीच बैताल रानी और चरवाहे को राजा के नियुक्ति गुप्तचरो की सूचना मिल गई जिसके बाद रानी और चरवाहे ने महल से भागने की योजना बनाई 1 दिन बैताल रानी ने मौका पाकर उस चरवाहे के साथ महल से भाग गई इसकी सूचना राजा तक पहुंची तो उन्होंने बैताल रानी की खोजबीन के लिए अपने सैनिक को अलग-अलग दिशा में भेजकर स्वयं कुछ सैनिकों के साथ इस घाटी की ओर आ गए राजा हरिश्चंद्र को बसंतपुर के एक पर्वत में बैताल रानी और चरवाहे के छिपे होने की सूचना मिली.
जनश्रुति के अनुसार राजा हरिश्चंद्र ने बैताल रानी और चरवाहे को इसी घाटी में पकड़ा और क्रोधित राजा ने बैताल रानी का सर धड़ से अलग कर उसके टुकड़े कर दिए थे राजा ने उस चरवाहे को भी मौत के घाट उतार दिया था.
▶️मौत के बाद पत्थर में बदल गई बैताल रानी
बैताल रानी मंदिर की स्थापना को लेकर जब हमारी टीम ने ग्राम बसंतपुर के कुछ ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया बैताल रानी पत्थर बन गई जिसके बाद स्थानीय लोगों ने उस पत्थर को विधिवत स्थापित कर इस घाटी के पर्वत में स्थापित किया था.

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में बैताल रानी की मूर्ति स्थापित थी पूर्व में यहां घने जंगल की एक चबूतरे में एक पेड़ के नीचे बैताल रानी की मूर्ति स्थापित थी चबूतरे के नजदीक ही दो समाधि उस स्थान में बने नजर आती हैं जिसे देख कर ऐसा लगता है जैसे इसमें किसी 2 लोगों के शव को दफनाया गया है.
इसके बाद जब हमारी टीम ने बैताल रानी की प्रतिमा मूर्ति को देखने की इच्छा जताई तो ग्रामीणों ने हमें मुख्य मार्ग के किनारे एक झोपड़ीनुमा अस्थाई मंदिर की ओर ले गये
बैताल रानी की कुटिया नुमा मंदिर प्रतिमा मूर्ति देखने की प्रबल इच्छा से जब मंदिर में प्रवेश किया तो वहाँ बैताल रानी की तीन हिस्सों में विभाजित मूर्ति को देख कर चौक गये. अभी तक हम ग्रामीणों की बात को सिर्फ एक किवदंती ही मानकर चल रहे थे लेकिन बैताल रानी की प्रतिमा मूर्ति के दर्शन के बाद अब हमें भी इस किवदंती पर कुछ कुछ भरोसा होने लगा है मूर्ति के पास ही एक चरण पादुका भी रखी हुई है प्रथम दृष्टया ये मूर्ति अति प्राचीन नजर आती है इसके साथ ही आसपास बैताल रानी घाटी की ऐतिहासिक से जुड़े कई बातें सुनने व देखने को मिल रहा है.
आसपास ग्रामीण व इस जगह आने जाने वाले लोगों की यही आस है बैताल रानी की मंदिर भव्य बनाने के लिए शासन प्रशासन तक संदेश DNnews के माध्यम से पहुंचाने की कोशिश.
