

छुरिया ! DNnews- राजनांदगांव जिला मे हाल ही मे नए प्रभारी मंत्री के प्रथम आगमन पर कांग्रेस के नेताओं ने जिस तरीक़े से अलग अलग गुट बनाकर जोशीला स्वागत किया. राजनीतिक हल्को मे इसकी कई तरह से चर्चा हो रही है. सत्ता दल के वरिष्ठ लोगों की माने तो जिला मे पिछले ढाई साल मे स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से कांग्रेस के निष्ठावान लोगों की जो दुर्गति हुई है उनका दर्द सिर्फ़ स्वागत ढोल नगाड़े जय जय कार से नही भरने वाला है. निष्ठावान जमीनी कार्यकर्ताओं का कहना है हाल ही मे मंत्री के आगमन पर नए चेहरे व नेता जो कभी पार्टी के लिए कुछ किए ही नहीं ऐसे नेता स्वागत कर अपना प्रदर्शन कर रहे थे. ऐसे चेहरे का कांग्रेस के प्रति निष्ठा कम व पूर्व प्रभारी मंत्री बदलने की खुशी का इजहार जरूरत से ज्यादा दिखाई दे रहा था. जो दोहरे चरित्र के नेताओं की निष्ठा से भलिभांति परिचित थे. वरिष्ठ कांग्रेस के नेताओं का कहना है बेवजह कुछ लोग ऐसा माहौल पैदा कर रहे थे. पहले वाले गरम अभी वाले नरम जबकि लोगों का दुखदर्द की जवाबदारी सिर्फ़ प्रभारी मंत्री का नहीं होता जिले के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों व सगंठन के नेताओं का भी जनता का दुख दर्द और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने का होता है l
▶️प्रभारी मंत्री को बदलना होगा अपना ट्रेंड नही बदले तो विपक्ष राजनांदगांव मे होगा मजबूत
राजनीतिक जानकारों और विश्लेषकों की माने तो प्रभारी मंत्री ये सरल है पिछले वाले महत्व नही देते थे. उनका कद छोटा इनका कद बड़ा ये कयास लगाना भूल है मंत्री जहां का भी प्रभारी मंत्री होते है उनका पावर कम नही होता प्रभारी मंत्री बनाना एक व्यवस्था है महत्वपूर्ण उनका अपना विभाग होता है वरिष्ठ काग्रेसियों का आरोप है सत्ता के कुछ जनप्रतिनिधि वर्तमान मे जीन्हे सरक्षण दे रहे है. ऐसे लोग माहौल बना रहे है. जिला मे सत्ता के लोगों का उपेक्षा कर विपक्ष को मजबूत करने वाले अवसरवादी गुट है जो हर सरकार मे अपनी जगह बनाकर दुकानदारी चलाते है वह ये हवा दे रहे है की आम कार्यकर्ताओं का मानना है स्थानीय जिला के जनप्रतिनिधियों व सगंठन के नेताओं को कार्यकर्ताओं के प्रति अपना रवैया बदलना होगा नही तो यही जिला विपक्ष के लिए मजबूत किला साबित होगा सरकार के लिए मुसीबत का सबब भी बन सकता है l बीते विधानसभा चुनाव इस बात का गवाह है दिवंगत नेत्री करुणा शुक्ला ने चुनाव लड़कर झेला भी था. और संगठन और मुखिया को उन चेहरों से परिचित भी कराया था भले यह दिगर बात है कि सत्ता आने के बाद संगठन और 68 रनों को ही शतक समझने लगे हैं और आने वाले चुनाव की तैयारी को लेकर सगंठन व सरकार के लोग सजग नहीं है जिसका परिणाम विपक्ष हर छोटे से छोटे मुद्दे को तिल का ताड़ बनाने में लगी है देखना यह है कि चातुर्य संगठन के मुखिया और प्रदेश के मुखिया आपसी सामंजस स्थापित कर अपनी वैतरणी कैसे पार लगाएंगे l
▶️आसमान छूती रेत की कीमतों पर सरकार का नहीं है कोई नियंत्रण
भले ही छत्तीसगढ़ कि प्रदेश सरकार पेट्रोल की महंगाई और आसमान छूती खाद्य तेलों की कीमत और दैनिक जीवन में उपयोग में लाने वाली चीजों की महंगाई पर कितना भी विरोध प्रदर्शन करें तब कोई मतलब नहीं होगा जब वह अपने राज्य के लोगों को रियायत दर पर अपने ही राज्य की नदियों से पैदा होने वाली रेत की कीमतों और खनिज संपदा का बेरहमी से दोहन करने वाले 15 साल पुराने वही चेहरे जो आज लूट मचाए हुए हैं को नियंत्रित नहीं किया गया तो यह नाराजगी धीरे धीरे निचले स्तर से ब्लॉक और जिला स्तर तक इतनी भयावह रूप से फैल जाएगी जिसका खामियाजा और उसकी भरपाई के लिए मौका नहीं मिलेगा इसलिए रेत चोरों से जिले को बचाना होगा और नियंत्रित करो पर जनता को रेत मुहैया करानी होगी नहीं तो कथनी और करनी का फर्क निश्चित रूप से पार्टी के कार्यकर्ता तो करते ही हैं जनता भी कर लेती है l