पद्मश्री ममता चंद्राकर की संगीत विवि में नियुक्ति अवैधानिक - बीआर यादव : निर्धारित आयु सीमा समाप्ति के बाद भी बनी हुई है कुलपति
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खैरागढ़ ! DNnews - इन दिनों इंदिराकला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ का नैक टीम द्वारा विजिट में सी रैंक दिए जाने का मामला थमा नहीं है. कि एक और मामला सामने आ गया. छुईखदान के राष्ट्रपति पुरुष्कार प्राप्त सेवा निवृत्त शिक्षक बी आर यादव ने विवि के कुलपति ममता चंद्राकर पर फर्जी नौकरी करने का आरोप लगाया है. उन्होंने गत दिनों प्रेस कांफ्रेंस कर पत्रकारों को बताया की राजभवन द्वारा जारी विज्ञापनों के अनुसार कुलपति पद पर नियुक्त होने वाला व्यक्ति अकादमिक तथा सम्बंधित के पास प्राध्यापक प्रोफ़ेसर पद पर 10 वर्षो का कार्यानुभव का होना आवश्यक है.
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उन्होंने कहा कि विवि के कुलपति डॉ मोक्षदा ममता चंद्राकर के पास इस तरह का कोई कार्यानुभव नहीं है. उसके बाद कांग्रेस शासन काल में फर्जी तरीके से कुलपति की नियुक्ति कर दी गई है. इस सम्ब्नध में दात्वेजों की जानकारी के लिए बीआर यादव ने जनसूचना अधिकारी इंदिराकला संगीत विश्वविद्यालय को सुचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत 4 जनवरी 2024 को आवेदन प्रस्तुत कर जानकारी मांगी गई थी. लेकिन जनसूचना अधिकारी ने सुचना का अधिा र अधिनियम का अवहेलना करते हुए जानकारी नहीं दिया,
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उसके बाद बीआर यादव ने 13 फरवरी 2024 को प्रथम अपीलीय अधिकारी राजभवन रायपुर को पात्र लिखा। जहा प्रश्नचिन्ह लगाकर यहाँ भी जानकारी नहीं दिया गया, वही प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा इस सम्बन्ध में किसी भी तरह का जानकारी नहीं होना बताया गया. अब सवाल यह उठता है, क्या वाकई ममता चंद्राकर की नियुक्ति फर्जी है ? या सही है तो विभाग के पास सम्बंधित दस्तावेज क्यों नहीं है ? क्या आम नागरिको को सुचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगने का अधिकार नहीं नहीं है ? और जानकारी मांगते है तो विभाग इस पर पल्ला झाड़ रहे है. यही नहीं पैसा जमा करने के बाद गलत जानकारी देने का आरोप भी लगाया है.
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बीआर यादव ने आरोप लगाया की ममता चंद्राकर के पास 10 वर्ष प्रोफेसर का किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं है. फर्जी तरीके से कुलपति का नौकरी कर है. एक बात और निकलकर सामने आई की 2 दिसंबर 2023 को कुलपति की 65 वर्ष की आयु समाप्त हो गया है. बावजूद बिना एक्शटेंशन के ममता चंद्राकर पद पर बनी हुई है. इस सम्ब्नध में भी यादव ने जानकारी मांगी लेकिन एक्शटेंशन का किसी भी प्रकार का पत्र राजभवन से जारी नहीं होना बताया,
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बतादें की जब से मोक्षदा ममता चंद्राकर इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति बनी है. तब से कुछ न कुछ विवाद होता आया है. इतने विवादों के बाद भी विवि प्रबंधन के कान खड़े नहीं हुए है, इसके पहले भी कई प्रभारी कलपति बनकर आये है लेकिन आज तक किसी तरह का विवाद खड़ा नहीं हुआ। एक बात और भी समझनी है की जब से विवि की स्थापना हुई है तब से आज तक प्रभारी कुलपति के भरोसे इंदिराकला संगीत विश्विद्यालय का संचालन चल रहा है. विवि में अब तक फूल फ्लेश कुलपति की स्थापना नहीं हुई है. जिसके चलते प्रशासनिक तौर पर एसडीएम, फ्रोफेसर आदि से काम चलाया जा रहा है.
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इधर राष्ट्रपति पुरष्कार से सम्मानित सेवा निवृत्त शिक्षक बीआर यादव ने बताया की कुलपति की नियुक्ति सम्बन्धी दस्तावेजों को प्राप्त करने उन्हें राजभवन तक का चक्कर काटना पड़ा. यादव ने कहा की दस्तावेजों से स्पष्ट पता चलता है की ममता चंद्राकर को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे पारित निर्णय यूजीसी के अधिनियमों और संगीत विवि के अध्यादेशों को अनदेखी की गई है. ममता चंद्राकर पर मामले को लेकर अन्य माध्यमों से भटकने आरोप लगाते हुए बीआर यादव राजभवन में साक्ष्य प्रस्तुत कर शिकायत बाद कलेक्टर को पूरी जानकारी दी जाएगी। उसके बाद हाईकोर्ट में मामला पेश किया जायेगा।
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