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कांग्रेस विधायक हर्षिता स्वामी बघेल व यशोदा वर्मा के रहते पंचायत चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार


Dinesh Sahu
26-02-2025 02:46 PM
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इधर जिला,जनपद से विजयी प्रत्याशी अज्ञातवास में
खैरागढ़।हाल ही में हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में खैरागढ़ और डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। यह चुनाव क्षेत्रीय राजनीति के लिए अहम थे क्योंकि इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों के कांग्रेस के विधायक, यशोदा वर्मा और हर्षिता स्वामी बघेल, दोनों ही कांग्रेस की ओर से टिकट की अनुशंसा करने वाले थे। इसके बावजूद, पार्टी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा।
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चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों के चयन को लेकर भी पार्टी की आलोचना हुई थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि कांग्रेस ने लायक और प्रभावी प्रत्याशियों को नजरअंदाज करके कुछ कमजोर उम्मीदवारों को टिकट दिया। यही वजह थी कि पार्टी को चुनाव परिणामों में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस केवल एक सीट ही बचा पाई, जिससे यह साफ हो गया कि पार्टी का प्रदर्शन पूरी तरह से निराशाजनक था।
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खैरागढ़ और डोंगरगढ़ दोनों विधानसभा क्षेत्रों में पंचायत चुनावों के परिणामों ने कांग्रेस की राजनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बहुत मजबूत रहा। यहां के छुईखदान ब्लॉक में 5 जिला पंचायत सीटों में से 4 पर भाजपा का कब्जा रहा। वहीं, जनपद पंचायत छुईखदान के 25 सीटों में से भाजपा और कांग्रेस दोनों ने बराबरी की। भाजपा और कांग्रेस दोनों के अधिकृत प्रत्याशियों ने 8-8 सीटें जीतीं, जिससे यह साबित हुआ कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही यहां अपनी-अपनी पकड़ बनाए हुए थे।
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कांग्रेस का सबसे बुरा प्रदर्शन खैरागढ़ जनपद पंचायत में हुआ। 25 सीटों में से भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों ने 15 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटों पर संतोष करना पड़ा। इसके अलावा, 2 सीटों पर गोंडवाना पार्टी और बाकि सीट पर बागी प्रत्याशी ने जीत हासिल की। यह परिणाम कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका था क्योंकि पार्टी को यहां एक मजबूत स्थिति की उम्मीद थी।
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इसी तरह, डोंगरगढ़ ब्लॉक में भी कांग्रेस की स्थिति बहुत कमजोर रही। यहां भी भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया और कई सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि, डोंगरगढ़ में कांग्रेस ने कुछ स्थानों पर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की, लेकिन अंततः वह भाजपा के मुकाबले पीछे रह गई।
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इन चुनाव परिणामों ने यह सिद्ध कर दिया कि कांग्रेस पार्टी ने अपनी रणनीति और प्रत्याशी चयन में गलतियाँ कीं, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कई बार आरोप लगाया कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों में अधिकांश ऐसे थे जो क्षेत्र में जमीनी स्तर पर प्रभावी नहीं थे। दूसरी ओर, भाजपा ने अपने प्रत्याशियों को सही तरीके से चयनित किया और उनका प्रचार भी प्रभावी तरीके से किया।
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कांग्रेस की हार का कारण न केवल कमजोर प्रत्याशी थे, बल्कि पार्टी के भीतर नेतृत्व का भी संकट था। जहां एक तरफ भाजपा ने संगठन और रणनीति के स्तर पर अपनी ताकत दिखाई, वहीं कांग्रेस में आपसी गुटबाजी और कमजोर नेतृत्व के कारण पार्टी अपने बूते पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई।
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बतादे की केसीजी भाजपा जिला पंचायत और दोनों ही जनपद में अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही है. चुनाव प्रभारी घम्मन साहू के नतृत्व में भारतीय जनता पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर पाई है. जानकारी के मुताबिक केसीजी जिला के चुनाव प्रभारी घम्मन साहू बहरहाल खैरागढ़ जनपद के 17 विजयी प्रत्याशियों को लेकर, टीके चंदेल छुईखदान जनपद के 16 विजयी प्रत्याशियों को लेकर और विक्रांत सिंह 8 जिला पंचायत विजयी प्रत्याशियों को लेकर अज्ञातवास में चले गए है.
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