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छत्तीसगढ

अब धिरे धिरे नंदावत हवय गॉव के तिहार ह : येला बचाय के खातिर का करना चाही कमेंट में बताहू

Dinesh Sahu

17-11-2023 02:51 PM
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दिनेश साहू खैरागढ़ छत्तीसगढ़ 9098981250


छत्तीसगढ़ ! गाँवों में भी अब त्योहारों की रौनकता धीरे-धीरे ख़त्म होने के कगार पर है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न पारंपरिक त्योहारों में रौनकता ख़त्म होती जा रही है। दीपावली, होली, हरेली, तीज का त्योहार पहले बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता था, लेकिन कुछ समय से यह सब त्योहार फीके पड़ते नजर आ रहे हैं।



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गाँव-शहर के मेल-जोल में बदलता त्योहारों का माहौल


गाँव से शहर कमाने गए लोग बाकायदा त्योहार मनाने गाँव आया करते थे, परिवार, दोस्त, यार से मुलाकात का दौर चलता था। लेकिन आजकल यह सब देखने को नहीं मिल रहा है। बर्षों से कमाने गए लोग अब गाँव को भी भूलने लगे हैं। गाँव में त्योहार का जो माहौल देखने को मिलता था, वह पहले जैसा नहीं रहा।

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नशे में डूबे त्योहारों का सामाजिक परिवर्तन


आजकल अधिकतर लोग त्योहारों में नशा को अपना अभिन्न अंग मानने लगे हैं। हाल ही में हुए मातर त्योहार में भी लोगों में उतना उमंग देखने को नहीं मिला जो पहले देखने को मिलता था। शराब का नशा गाँव का माहौल ख़राब कर रहा है। शराब के नशे में लोग अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं। मातर मड़ई के कार्यक्रम में अब तो बिना शराब के लोग नाचना पसंद नहीं करते। इसके वजह से गाँवों में झगड़ा-लड़ाई आम बात हो गई है, और इसी झगड़े-झंझट के वजह से पूरा त्योहार किरकिरा हो जाता है।

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त्योहारों का केवल औपचारिक माहौल


वर्तमान में ऐसा लगता है कि त्योहार केवल औपचारिकता के लिए मनाया जा रहा है। पहले लोग त्योहारों के बहाने सप्ताह भर पहले घरों की साफ-सफाई, पेंटिंग, पुटाई में लग जाते थे, लेकिन अब तो यहाँ तक कि लोग घरों का साफ-सफाई करना भी कठिन हो रहा है।


दीपावली में सींग दफड़ा और और होली के नगाड़ा की थाप भी कम होते दिखाई पड़ रहा है, इसके बदले लोग डीजे का सहारा ले रहे है, जो आने वाले समय के लिए केवल नुकसान दिखाई पड़ता है, 

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  • छत्तीसगढ़ के त्योहारों को बचाएं रखने के लिए क्या करें:


सामुदायिक सभा आयोजन: छत्तीसगढ़ के त्योहारों के आयोजन के लिए सामुदायिक सभाएं आयोजित करें। यह स्थानीय सामूहिक समर्थन और सामूहिक आत्मविश्वास को बढ़ावा देगा।


परंपरागत उत्सव संरचना: राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में परंपरागत उत्सवों की संरचना करें, जिससे स्थानीय सांस्कृतिक धारा को बढ़ावा मिले।


शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन: छत्तीसगढ़ के त्योहारों के महत्व को समझाने के लिए स्थानीय शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन करें।

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स्थानीय कला और शिल्प को प्रोत्साहित करें: स्थानीय कला, हस्तशिल्प और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कला और शिल्प महोत्सवों का आयोजन करें।


सुरक्षित और स्वस्थ उत्सव: उत्सव के दौरान सुरक्षा और स्वस्थता के मामलों का पूरा ध्यान दें, ताकि लोगों को आत्मनिर्भरता मिले और वे सुरक्षित महसूस करें।


जागरूकता अभियान: त्योहारों के महत्व को समझाने के लिए सामाजिक मीडिया, पुस्तकलय, और जागरूकता अभियान आयोजित करें।


सांस्कृतिक विनम्रता बढ़ाएं: विभिन्न सांस्कृतिक ग्राहकों को समर्थन और समझदारी की दिशा में एक-दूसरे के प्रति विनम्र बनाए रखने के लिए कार्य करें।


पर्यावरण के प्रति जागरूकता: त्योहारों के दौरान पर्यावरण का ख्याल रखने और प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें।


सामूहिक सेवा पहल: त्योहारों के मौके पर सामूहिक सेवा पहलें आयोजित करें, जो समुदाय के उत्तराधिकारी हो सकती है।


छत्तीसगढ़ के त्योहारों का अधिक प्रचार-प्रसार: राज्य के त्योहारों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए प्रचार-प्रसार

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Dinesh Sahu

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