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खैरागढ़

किशोरी बालिकाओं के अधिकार के संबंध में लोगों को किया गया जागरूक : बचों की असुरक्षा व विशेष और भिन्न व्यवहार की जरूरत को मानते हुए 1986 में ही पहली बार पूरे भारत के लिए एकरूप किशोर न्याय कानून को पारित किया गया।

Dinesh Sahu

26-11-2022 10:17 AM
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खैरागढ ! DNnews- छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के तत्वधान में अध्यक्ष विनय कुमार कश्यप  जिला विधिक सेवा  प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशानुसार और  अध्यक्ष  चन्द्र कुमार कश्यप तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ एवं   सचिव  देवाशीष ठाकुर के मार्गदर्शन  में  आज दिनांक 25.11.2022 को भरदाकला में कानूनी जागरूकता  शिविर का आयोजन किया गया। 
जिसके अंतर्गत  पैरालीगल वालंटियर गोलूदास ने  ग्रामीण लोगों को संबोधित करते हुए किशोरी संचेतना के संबंध में कहा गया कि किशोरी बालिकाओं को उनके अधिकार जानने और इस उम्र में होने वाले बदलाव तथा किशोरी बालिकाओं को इस उम्र के दरमियान किन किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है समय पर किशोरी बालिकाओं को उनकी परेशानी के बारे में जानकारी दे दी जाए तो वह उनकी परेशानियों को आसानी से समझ कर उन्हें हल करने में सक्षम साबित होगी। किशोरी बालिकाओं को उनकी उम्र के हिसाब से ज्ञानवर्धक बातें समय पर मिल जाए तो किशोरी बालिका है परेशानियों से बच सकेगी।

साथ ही उनसे संबंधित कानून के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा गया कि किशोर न्याय आधिनियम 1986, 2000 और 2006 का इतिहास और पृष्ठभूमि भारत में किशोर न्याय प्रणाली बच्चों के अधिकारों को प्रोत्साहित और सुरक्षित करने के सिद्धांत पर आधारित है। बचों की असुरक्षा व विशेष और भिन्न व्यवहार की जरूरत को मानते हुए 1986 में ही पहली बार पूरे भारत के लिए एकरूप किशोर न्याय कानून को पारित किया गया।


आगे साहू ने  लोक अदालत के संबंध में बताते हुए कहा गया कि लोक अदालते क्या हैं? लोक अदालत विवादों को समझौते के माध्यम से सुलझाने के लिए एक वैकल्पिक मंच है। सभी प्रकार के सिविल वाद तथा ऐसे अपराधों को छोड़कर जिनमें समझौता वर्जित है, सभी आपराधिक मामले भी लोक अदालतों द्वारा निपटाये जा सकते हैं। लोक अदालत के फैसलों के विरूद्ध किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है।

लोक आदालतों से लाभ
वकील पर खर्च नहीं होता।
कोर्ट-फीस नहीं लगती।
पुराने मुकदमें की कोर्ट-फीस वापस हो जाती है।
किसी पक्ष को सजा नहीं होती। मामले को बातचीत द्वारा सफाई से हल कर लिया जाता है।
मुआवजा और हर्जाना तुरन्त मिल जाता है।
मामले का निपटारा तुरन्त हो जाता है।
सभी को आसानी से न्‍याय मिल जाता है।
फैसला अन्तिम होता है।
साथी लोगों को विधिक जानकारी संबंधित पांपलेट का वितरण भी किया गया।

Dinesh Sahu

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