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जिला विधिक सेवा द्वारा बाल तस्करी के संबंध मे दी गई जानकारी। : बाल तस्करी मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे खराब रूप है.

Dinesh Sahu
16-11-2022 10:56 AM
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खैरागढ ! DNnews-अध्यक्ष विनय कुमार कश्यप जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशानुसार और अध्यक्ष चन्द्र कुमार कश्यप तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ और सचिव देवाशीष ठाकुर के मार्गदर्शन में दिनांक 15.11.2022 को शासकीय प्राथमिक शाला खपरी में विशेष कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया जहां उपस्थित छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए पैरालीगल वालंटियर गोलू दास द्वारा बाल तस्करी के बारे में कहा गया कि
बाल तस्करी एक गंभीर अपराध है और मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे खराब रूप है, जो कि हमारे देश के कई हिस्सों में देखने को मिल रहा है; इससे नया भारत, एक प्रगतिशील भारत के लक्ष्य को पाने में बाधा उत्पन्न हो रही है। बाल तस्करी से निपटने के लिए विभिन्न वर्गों के हितधारकों के हस्तक्षेप और उनके द्वारा ध्यान देने की आवश्यकता है। हमारे देश के कई जिलों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं जुड़ी हैं जिसमें मौजूद कमियां ऐसी स्थितियों को बढ़ावा देती हैं जो तस्करों को आकर्षित करती हैं और इस काम को करने में सक्षम बनाती हैं। बच्चे आसान लक्ष्य होते हैं जो अपने शिकार की तलाश में लगातार लगे इन शिकारियों के चंगुल में फंस जाते हैं। पीड़ित बच्चे शोषण के गंभीर रूपों , जैसे शारीरिक, यौन और भावनात्मक हिंसा, दुर्व्यवहार, यातना और सदमा, जबरन और बंधुआ मजदूरी, जबरन विवाह और दासता आदि का सामना करते हैं। बाल तस्करी के पीड़ितों द्वारा सामना की जाने वाली क्रूरता और अन्याय अक्सर समझ से भी परे है; इसमें उनका जीवन नष्ट हो जाता है जिसे सुधार पाना भी संभव नहीं होता; और वे अधिकारों से वंचित रहते हैं। अतः बच्चों को सजग जागरूक और लालच से परे होना जरूरी है ।
साथ ही बाल तस्करी के संबंध में जागरूकता रैली का आयोजन किया गया और पूरे गांव में भ्रमण किया गया।
बाल तस्करी एक गंभीर अपराध है और मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे खराब रूप है, जो कि हमारे देश के कई हिस्सों में देखने को मिल रहा है; इससे नया भारत, एक प्रगतिशील भारत के लक्ष्य को पाने में बाधा उत्पन्न हो रही है। बाल तस्करी से निपटने के लिए विभिन्न वर्गों के हितधारकों के हस्तक्षेप और उनके द्वारा ध्यान देने की आवश्यकता है। हमारे देश के कई जिलों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं जुड़ी हैं जिसमें मौजूद कमियां ऐसी स्थितियों को बढ़ावा देती हैं जो तस्करों को आकर्षित करती हैं और इस काम को करने में सक्षम बनाती हैं। बच्चे आसान लक्ष्य होते हैं जो अपने शिकार की तलाश में लगातार लगे इन शिकारियों के चंगुल में फंस जाते हैं। पीड़ित बच्चे शोषण के गंभीर रूपों , जैसे शारीरिक, यौन और भावनात्मक हिंसा, दुर्व्यवहार, यातना और सदमा, जबरन और बंधुआ मजदूरी, जबरन विवाह और दासता आदि का सामना करते हैं। बाल तस्करी के पीड़ितों द्वारा सामना की जाने वाली क्रूरता और अन्याय अक्सर समझ से भी परे है; इसमें उनका जीवन नष्ट हो जाता है जिसे सुधार पाना भी संभव नहीं होता; और वे अधिकारों से वंचित रहते हैं। अतः बच्चों को सजग जागरूक और लालच से परे होना जरूरी है ।
साथ ही बाल तस्करी के संबंध में जागरूकता रैली का आयोजन किया गया और पूरे गांव में भ्रमण किया गया।
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