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बाल विवाह निवारण अधिनियम 1929 के संबंध में दी गई विधिक जानकारी : बाल विवाह अपराध है

Dinesh Sahu

15-12-2022 12:20 PM
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खैरागढ ! DNnews- अध्यक्ष न्यायाधीश विनय कुमार कश्यप जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशानुसार चन्द्र कुमार कश्यप अध्यक्ष तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ व सचिव देवाशीष ठाकुर के मार्गदर्शन मे 14 दिसंबर को विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन ग्राम मूढ़पार में किया गया जहां पैरालीगल वालंटियर गोलूदास द्वारा उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए बाल विवाह निवारण अधिनियम, 1929 के संबंध में  बताया गया कि बाल विवाह कानूनी अपराध है
बाल विवाह अधिनियम 1929 के अंतर्गत 18 साल से कम उम्र की लड़की एवं 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी करवाना कानूनी अपराध है। 

बाल विवाह में सहयोग करने वाले लोगों को सजा हो सकती है ऐसी शादी करवाने वाले या योगदान देने वाले सभी व्यक्तियों जैसे -वर एवं वधु पक्ष के माता-पिता, रिश्तेदार, बाराती एवं विवाह करवाने वाले पंडित को बाल निवारण अधिनियम, 1929 की धारा 5, 6 के अंतर्गत तीन महीने की कैद अथवा जुर्माना, दोनों हो सकता है। 

21 साल से कम उम्र के पुरूष द्वारा बाल विवाह कानूनी अपराध है:-यदि कोई पुरूष जो कि 21 साल से कम तथा 18 साल से अधिक उम्र का है, बच्चे के साथ विवाह करता है, ऐसे व्यक्ति को बाल विवाह निवारण अधिनियम, 1929 की धारा 3 के अंतर्गत 15 दिन का सामान्य कारावास या 1000/रूपये जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है। 

21 साल से अधिक उम्र के पुरूष द्वारा बाल विवाह कानूनी अपराध है:-यदि कोई पुरूष जो कि 21 साल से अधिक उम्र का है, बच्चे के साथ विवाह करता है, ऐसे व्यक्ति को बाल विवाह निवारण अधिनियम, 1929 की धारा 3 के अंतर्गत 3 महीने का सामान्य कारावास तथा जुर्माना भी हो सकता है। 

बाल विवाह अपराध की सूचना किसको दें:-
अगर किसी व्यक्ति को जानकारी मिलती है कि कहीं पर बाल विवाह करवाया जा रहा है तो वह इसकी सूचना संबंधित मजिस्टेट अथवा पुलिस अधिकारी को दे सकता है। 

वह अधिकारी बाल विवाह रोकने के लिये संबंधित पक्षकारों को आधिकारिक आदेश की जानकारी देगा।
यदि उसके बाद भी कोई व्यक्ति इस आदेश का उल्लंघन करेगा तो ऐसे व्यक्ति को बाल विवाह निवारण अधिनियम, 1929 की धारा 12 के अंतर्गत 3 माह का कारावास या 1000 रूपये जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है। 

बाल विवाह रोकने के लिये कोई भी व्यक्ति मेट्रोपोलिटिन मजिस्टेट (प्रथम श्रेणी) के न्यायालय के समक्ष भी आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकता है।

Dinesh Sahu

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