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बड़ी खबर : जमीन निगल गई या आसमान खा गया : आखिर जनपद पंचायत साजा से मूल अभिलेख कहां गया ? : बहुचर्चित 2007 शिक्षाकर्मी भर्ती में हुए फर्जीवाड़े से सम्बंधित दस्तावेज गायब

Dinesh Sahu
02-12-2022 02:48 PM
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Rawal jain bemetara.
बेमेतरा ! DNnews-आखिर मूल अभिलेख गए कहां पिछले कई वर्षों से यह प्रश्न बना हुआ है इस संबंध में कोहकाबोड़ निवासी सेवा निवृत्त शिक्षक नारद सिंह राजपूत ने 23 जनवरी 2021 को सीईओ जनपद पंचायत साजा के समक्ष शिकायत किये थे कि 23 माह बाद भी इस प्रश्न का कोई उत्तर नही मिला है. किसी प्रकार की विभागीय कार्यवाही तो दूर इस विषय मे अब तक कोई जांच दल भी गठित नही हुई.
इससे जनपद पंचायत साजा गायब मूल अभिलेख पर कितने लापरवाह है समझी जा सकती है हालांकि शिकायत उपरांत सीईओ जनपद पंचायत साजा ने कलेक्टर बेमेतरा को जांच हेतु 25 जनवरी 2021 को जांच हेतु पत्र तो लिखे लेकिन कलेक्टर कार्यालय बेमेतरा द्वारा उस पत्र के बाद कोई गतिविधि नजर नही आई उसके बाद से मामला ठंडे बस्ते में चली गई.
उपरोक्त मामला बहुचर्चित 2007 शिक्षाकर्मी भर्ती में हुए फर्जीवाड़े से सम्बंधित है जिसका पटाक्षेप पंद्रह वर्षो बाद भी नही हो सका. शिक्षाकर्मियों के संविलियन उपरांत अब समस्त अभिलेखों का संधारण बीइओ साजा को करना था लेकिन तत्कालीन बीइओ डॉ नीलिमा गडकरी को बार-बार पत्र लिखे जाने के बाद भी सीईओ जनपद पंचायत साजा ने शिक्षाकर्मियों का नियुक्ति संबंधित अभिलेख आज पर्यन्त नही सौंपा गया है.
नियुक्ति और जांच में अनियमितता हुई लेकिन संविलियन में घोर अनियमितता बरती गई इसी का परिणाम आज लगातार देखने को मिल रहा है जो 11 फर्जी शिक्षाकर्मियों के मामलों के निराकरण में देखी जा सकती है इसके लिए डीईओ बेमेतरा को बार बार पत्र लिखना पड़ रहा है मीडिया भी इस मुद्दे को लगातार उठा रही है लेकिन जनपद पंचायत साजा खामोसी का चादर ओढ़े बैठी है
ये है गायब अभिलेख का मामला
सन 2007 के फर्जी भर्ती की जांच सन 2008 में तत्कालीन एसडीएम ओमप्रकाश चौधरी आईएएस द्वारा किया गया जिसमें नवागढ़,बेमेतरा, बेरला और साजा जनपद में नियुक्ति से सम्बंधित समस्त अभिलेखो को एसडीएम कार्यालय बेमेतरा मंगाया गया था जिसे एसडीएम कार्यालय बेमेतरा ने सन 2012-13 में जनपद पंचायत साजा को समस्त मूल अभिलेख मूलतः वापस कर दिया था. सामान्यतः किसी भी दो कार्यालयो में किसी भी दस्तावेजो के आदान प्रदान को आवक जावक रजिस्टर में चढ़ाया जाता है,निश्चित ही दोनो कार्यालयो ने इस प्रक्रिया को पूरा किया होगा जब 2012- 13 में एसडीएम कार्यालय बेमेतरा ने अभिलेख वापस किया तो जनपद पंचायत साजा के कोई न कोई कर्मचारी एसडीएम कार्यालय से रिसीविंग किया होगा और कार्यालय जनपद पंचायत साजा के आवक रजिस्टर में प्राप्त अभिलेखों को उल्लेख किया होगा. जिसका रिकार्ड जनपद पंचायत साजा के उक्त वर्ष की आवक रजिस्टर में देखी जा सकती है और सम्बंधित विभाग के अभिलेख संधारण करने वाले कर्मचारी के अंडर में उक्त अभिलेखों को संधारण करने दिया होगा चूंकि सन 2008 में ही कितने फर्जी शिक्षाकर्मी है इस बात का उल्लेख श्री ओमप्रकाश चौधरी के जांच प्रतिवेदन में था. ये अलग बात है विधिवत कार्यवाही नही हुई सन 2012 -13 में जैसे ही मूल अभिलेख जनपद पंचायत साजा आया वही से विभाग को संधारण करने वालों का फर्जी शिक्षाकर्मियों से वसूली उद्योग शुरू हुआ,जिसकी 2014 -15 में सीईओ जिला पंचायत में शिकायत भी हुई थी लेकिन बाद में फर्जीयो और लिपिक के अंडरस्टैंडिंग के चलते मामला रफादफा हो गया और यही से मूल अभिलेखों को गायब करने की शुरुवात हुई चूंकि 2015 में कलेक्टर बेमेतरा के नीर्देश पर एक बार फिर शिकायत और जांच का दौर शुरू हुई जो अब तक लगातार चल रही है मामले को तूल पकड़ते देख फर्जीयो और उनको नियुक्त करने वाले चयन समिति को बचाने जनपद पंचायत साजा में क्या क्या हरकतें हुई सर्वविदित है और दोषियों को बचाने के नियत से ही मूल अभिलेखों को गायब किये जाने की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता ताकि साक्ष्य के आभाव में दोषियों को सजा न मिल सके और फर्जीवाड़े का खुलासा न हो सके
कलेक्टर न्यायालय को भी नही दिया गया था मूल अभिलेख
न्यायालय कलेक्टर ने भी सीईओ जनपद पंचायत साजा को मूल अभिलेख हेतु अपने कार्यालयीन पत्र क्रमांक 1333 प्र कले 2017 बेमेतरा दिनांक 18 सितम्बर 2017 को पत्र लिखे थे जिसमें इसी संबंध में तीन बार और पत्र लिखे जाने का उल्लेख किये है जिसका पत्र क्रमांक क्रमशः 1112 दिनांक 06 अप्रैल 2017,1093 दिनांक 15 मई 2017 और 1311 दिनांक 01 सितम्बर 2017 है,जिस पर भी सीईओ जनपद पंचायत साजा ने न्यायालय कलेक्टर बेमेतरा द्वारा अपेक्षित दस्तावेज नही सौपा जिससे तत्कालीन सीईओ जनपद पंचायत साजा की गैर जिम्मेदाराना कृत्य परिलक्षित होता है मामले को जनपद पंचायत साजा के अधिकारियों कर्मचारियों और पदाधिकारियों द्वारा हर संभव दबाने की अनाधिकृत चेष्टा की गई एक तरफ 2007 भर्ती से संबंधित शिकायती मामले में थाना प्रभारी द्वारा लिखे पत्र के जवाब में तत्कालीन सीईओ द्वारा साक्ष्य (अभिलेख) जनपद कार्यालय में उपलब्ध होने जवाबी पत्र लिखते है तो दूसरे तरफ न्यायालय कलेक्टर द्वारा चार बार पत्र लिखे जाने के बाद भी मूल अभिलेख नही दिया गया यहाँ यह बताना लाजिमी होगा कि मूल अभिलेख ही साक्ष्य है जिस पर तत्कालीन सीईओ द्वारा दो अलग अलग कार्यालयो के साथ दोहरा मापदंड अपनाया गया है साथ ही भर्ती के सही आकड़ो को भी छुपाया जाता रहा है कुल 176 रिक्त पदों की भर्ती को 2015 की जांच में 146 का आंकड़ा बताया जा रहा है शेष 30 को क्यो छुपाया जा रहा है ऐसी परिस्थिति में मूल अभिलेख पर प्रश्न उठाना लाजिमी है
विधि विधाई विभाग मंत्रालय में भी की गई थी शिकायत
ग्यारह फर्जी शिक्षाकर्मियों के विरुद्ध साजा थाना में एफआईआर हुई थी काफी जद्दोजहद के बाद प्रथमश्रेणी न्यायालय में साजा पुलिस ने चार्जशीट प्रस्तुत की थी उस समय भी जनपद पंचायत साजा द्वारा फर्जी नियुक्ति से संबंधित मूल अभिलेख की जगह पुलिस को छाया प्रति प्रस्तुत किए थे तब साजा पुलिस ने साक्ष्य छुपाने,गायब करने या नष्ट करने वालो के विरुद्ध कोई कार्यवाही नही की थी चार्जशीट में छायाप्रति प्रस्तुत करने की शिकायत नारद सिंह राजपूत द्वारा सेक्रेटरी विधि विधाई विभाग मंत्रालय के पास की गई थी उस शिकायत का परिणाम अभी तक धरातल पर नजर नही आया है.
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