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मनरेगा मे कर्मचारी बेहाल, तो कैसे मिले संघर्ष को विराम? : 8 माह बीत जाने के बाद भी इनके हड़ताल अवधि का रूका हुआ वेतन अप्राप्त

Dinesh Sahu

23-02-2023 10:46 PM
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खैरागढ़ ! DNnews-बीते 24 दिसंबर को मनरेगा कर्मचारियो ने मरहा - खुरहा बैल बनकर एक अनूठा प्रदर्शन कर सरकार के समक्ष अपनी व्यथा बताने का प्रयास किया था। इस प्रदर्शन का मुख्य कारण कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा द्वारा हड़ताल स्थगन के 8 माह बीत जाने के बाद भी इनके हड़ताल अवधि का रूका हुआ वेतन अप्राप्त है, वही इनकी दो सूत्रीय मांगे क्रमशः रोजगार सहायक का ग्रेड पे निर्धारण और जब तक नियमितीकरण नही किया जाता तब तक समस्त 12 हजार से अधिक मनरेगा कर्मियो को पंचायतकर्मी का दर्जा देने की मांग भी पूरी नही किये जाने के फलस्वरूप किया गया था। दुर्भाग्य या सरकार की मजबूरी कहे, मनरेगा कर्मियो की मांगो पर अब तक कोई पहल नही की गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेताओ द्वारा दीगर राज्य जहां अन्य पार्टी की सरकार है वहां मनरेगा कर्मचारी की दयनीय स्थिति पर सवाल खड़े कर कांग्रेस सरकार आने पर नियमितीकरण का वादा करती है। वही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के बनने के बाद इस संबंध में निर्णय नही लिया जाना मनरेगाकर्मियो मे सरकार के प्रति असंतोष का कारण बन रहा है। छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय मीडिया प्रभारी एवं प्रवक्ता सूरज सिंह ठाकुर ने बताया कि 2018 के चुनाव पूर्व कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र के बिंदु क्रमांक 11 मे सभी संविदा कर्मचारी के नियमितीकरण एवं किसी की भी छटनी नहीं की जाएगी यह स्पष्ट उल्लेख है। किंतु 4.5 साल बीत जाने के बाद भी यह वादा पूरा नही किया गया।

मनरेगा कर्मियो के हड़ताल के मंच पर आकर आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने 3 माह मे मांगे पूरी करने का वादा कर हड़ताल स्थगित करवाया था, 08 माह से हम उनके चक्कर लगा रहे है। आला अफसर कमेटी और पत्राचार का खेल खेल रहे है, अभी तक कमेटी द्वारा पहल भी नही किया गया है। 2019 मे कांग्रेस के महासचिव श्रीमती प्रियंका गाँधी जी ने एक अन्य राज्य मे मनरेगा कर्मियो के लिए बनी कमेटी को केवल झांसा देना बताया था, क्या यह माना जाये कि छत्तीसगढ़ मे भी कमेटी बनाकर यहां के मनरेगा कर्मचारियों को झांसा दिया जा रहा है ? 15 वर्षो से रोजगार सहायक ग्राम पंचायत स्तर पर सेवा देने के बाद भी 6 हजार अल्प वेतन, बिना किसी सामाजिक सुरक्षा और कभी भी नौकरी से निकाले जाने के भय से मानसिक रूप से संघर्ष करते आ रहे हैं।

राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा गरवा घुरवा बारी, गोधन न्याय योजना के साथ-साथ रीपा योजना के संचालन की जिम्मेदारी भी इन्ही मनरेगा कर्मचारियों के मत्थे मढ़ दी गई है, जिसके संचालन के लिए इन्हे अलग से ना ही किसी प्रकार का वित्तीय सहायता दिया गया है और ना ही अन्य खर्च करने के लिए दिया जा रहा है। इसके विपरीत योजना संचालन मे कमी होने पर नोटिस और नौकरी से निकालने का डर उच्च अधिकारी जरूर दिखाते रहते हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर कई कीर्तिमान स्थापित किन्तु नही बढ़ा वेतन
 कोरोनाकाल मे सबसे अधिक रोजगार सृजन कर छत्तीसगढ़ राज्य देश मे अव्वल रहा । जिसके लिए स्वयं माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने तारीफ भी की थी । कोरोना काल में 200 के करीब मनरेगा कर्मचारी ग्रामीण श्रमिको को रोजगार उपलब्ध कराते हुए दिवंगत हो गए। इन शहीद मनरेगा कर्मचारियों के परिवार को भी सम्मानजनक सहायता नही पहुंचाई गई। विगत वर्षो मे किए कार्यो के कीर्तिमान से राज्य को 31 राष्ट्रीय पुरूस्कार से नवाजा गया ।
 
 भूपेश सरकार से वादे अनुरूप पहल की दरकार
  महात्मा गांधी नरेगा योजना अंतर्गत कार्य करने वाले अधिकारी, कर्मचारी एवं रोजगार सहायको का वेतन वर्ष भर में प्रदेश स्तर पर व्यय होने वाली राशि के 6 प्रतिशत आकस्मिक व्यय से किए जाने के भारत सरकार द्वारा निर्देश है। आनलाईन रिपोर्ट को गौर करे तो विगत 4 वर्षो मे केवल 3 से 5 प्रतिशत ही राशि का व्यय किया जा सका है। एक बड़ी राशि प्रतिवर्ष खर्च नहीं किए जाने की स्थिति बनी हुई है। इस राशि का समुचित उपयोग गर किया जाये तो कर्मचारियों की मांगे पुरी की जा सकती थी, किंतु इसके विपरीत 17 जनवरी को 1979 पदो की कटौती का प्रस्ताव भी मनरेगा कर्मचारियो के साथ छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवाओ के लिए भी पीड़ा का विषय है।
 
राहुल गांधी से अपील
छत्तीसगढ़ के मनरेगा कर्मचारियो ने अप्रेल 2022 मे भीषण गर्मी मे अपने नियमितीकरण संबंधी मांगो के लिए दंतेवाड़ा से लेकर राजधानी रायपुर तक 400 कि.मी. की पैदल दांडी यात्रा सह तिरंगा यात्रा किया था। राहुल गांधी जी भारत जोड़ो यात्रा किए तो शायद हमारी पीड़ा को समझ सकते है। इसलिए हम राहुल गांधी जी से अपेक्षा करते है कि मनरेगा कर्मचारियो की मांगो पर त्वरित विचार करते हुए हमारी नियमितीकरण संबंधी मांगो को पूरा किया जावे। साथ ही मनरेगा योजना को कांग्रेस अपनी सफलता मानती है तो कांग्रेस महाधिवेशन के दौरान मनरेगा कर्मचारियो को नियमित करने का प्रस्ताव कर इस बात को चरितार्थ भी करे कि कांग्रेस केवल योजना नही अपितु योजना क्रियान्वयन मे लगे कर्मचारियो का भी कांग्रेस ख्याल रखती है।

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