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मोटर दुर्घटना के प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा के संबंध में दी गई विधिक जानकारी :

Dinesh Sahu

16-12-2022 12:11 PM
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खैरागढ ! DNnews-अध्यक्ष विनय कुमार कश्यप  जिला विधिक सेवा  प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशानुसार और  अध्यक्ष  चंद्र कुमार कश्यप तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ एवं   सचिव  देवाशीष ठाकुर के मार्गदर्शन में15 दिसंबर को ग्राम पेंड्री में  विशेष कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया जहां उपस्थित महिलाओं पुरुषों एवं युवाओं को मोटर दुर्घटना के प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा के बारे में बताते हुए पैरालीगल वॉलिंटियर गोलूदास ने बताया कि बस, ट्रक, सड़क कूटने वाले रोलर, कार, टैक्टर, मोटर सायकल, मोपेड इत्यादि वाहनों द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा किसी प्रकार के वाहन से सीधे या अन्य प्रकार से दुर्घटना हो जाती है तो उसे मोटर दुर्घटना कहा जाता है। 

दुर्घटना में हुई क्षति के लिये प्रतिकर के भुगतान का प्राथमिक दायित्व दुर्घटना कारित वाहन के स्वामी तथा चालक का होता है।मोटर यान अधिनियम की धारा 146 के अंतर्गत परपक्ष (तृतीय पक्ष) बीमा पालिसी प्राप्त करना अनिवार्य है और ऐसी स्थिति में प्रतिकर के भुगतान का दायित्व बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार वाहन स्वामी के बजाय संबंधित बीमा कम्पनी का हो जाता है। 

यदि दुर्घटना करने वाले वाहन का विवरण मालूम नहीं हो तो ऐसी दुर्घटना के लिये भारत सरकार द्वारा तोषण निधि योजना 1989 बनाई गई है। इस योजना के अंतर्गत दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मृत्यु होने की दशा में मृतक के विधिक प्रतिनिधि को 25000/- रूपये गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को 12500/-रूपये प्रतिकर के रूप में दिलाये जाने की व्यवस्था है। इस योजना के अंतर्गत संबंधित पीड़ित पक्ष के आश्रितों द्वारा दुर्घटना के 06 माह के भीतर निर्धारित प्रारूप पर प्रार्थना पत्र अधिकृत अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के समक्ष प्रस्तुत किये जाने पर आवश्यक जांच होती है और जांच उपरांत अधिकृत अधिकारी द्वारा अपनी संस्तुती कलेक्टर को प्रेषित की जाती है। जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर विचार करके कलेक्टर द्वारा नियमानुसार प्रतिकर धनराशि दिलाये जाने के लिये आवश्यक आदेश दिये जाते हैं। इस धनराशि के भुगतान का दायित्व संबंधित उस बीमा कम्पनी पर होता है, जिसे उस राज्य के लिये भारत सरकार द्वारा दायित्व सौंपा गया हो। 

यदि दुर्घटना करने वाले वाहनों का विवरण ज्ञात हो, तो ऐसी स्थिति में मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत गठित मोटर दुर्घटना क्लैम्स ट्रिब्यूनल अर्थात जिला न्यायाधीश अथवा अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के समक्ष मोटर वाहन के स्वामी, वाहन चालक और संबंधित बीमा कम्पनी के विरूद्ध प्रतिकर दावा प्रस्तुत किया जा सकता है। 6. मोटर यान अधिनियम 1994 में हुये संशोधन के अनुसार प्रतिकर वाद को पेश किये जाने के संबंध में कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है।साथ ही पोक्सो एक्ट, साइबर अपराध, नालसा टोल फ्री नंबर 15100 , न्याय ऐप के संबंध में भी विस्तार से बताया गया।

Dinesh Sahu

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