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Bemetara bulletin - ट्रांसफर से आये गए लोगों पर कार्यवाही की विभाग के पास कोई नीति नही :

Dinesh Sahu
16-12-2022 11:06 AM
15
Rawal jain bemetara.
बेमेतरा ! DNnews-साजा शिक्षा विभाग में जनपद पंचायत के जमाने से लेकर संविलियन उपरांत बीइओ कार्यालय के कालखंड तक शिक्षा विभाग सिस्टम विहीन चल रहा है.नियुक्ति के बाद से लेकर ट्रांसफर से आये और गए शिक्षकों के अभिलेखों का कोई वेरिफिकेशन नही होता. इसी का फायदा उठाकर भोला उपासना लवकुमार मिश्रा रविकांत साहू ज्योत्सना शर्मा भुनेश्वर शुक्ला संगीता शुक्ला जैसे लोग सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर नौकरी कर रहे थे या कर रहे है नियुक्ति के तुरन्त बाद सेवा शर्तों के अनुसार सभी शिक्षाकर्मियों के नियुक्ति के समय आवेदन के साथ प्रस्तुत अंकसूची और प्रमाणपत्रो का वेरिफिकेशन होना था लेकिन आजपर्यंत कोई वेरिफिकेशन नही कराया गया. स्कूल ज्वाइनिंग के समय फर्जियो ने नियुक्ति के अलग अंकसूची और प्रमाणपत्र और स्कूल में कार्यभार ग्रहण करते समय अधिकांश फर्जी शिक्षाकर्मियों ने अलग अंकसूची और प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जबकि नियोक्ता को जो कार्यभार ग्रहण प्रतिवेदन बनाया उसमे नियुक्ति के समय आवेदन में प्रस्तुत अंकसूची प्रमाणपत्र का सरल क्रमांक अनुक्रमांक जारी बोर्ड या संस्था प्राप्तांक प्रतिशत का उल्लेख करना था जो नियोक्ता द्वारा जानबूझकर नही कर एक साजिश किया गया जो नियुक्ति सेवा शर्तों के विपरीत था.
आज यदि सिविल सोसायटी के लोग इन फर्जियो की नियुक्ति का शिकायत नही करते तो विभाग के इन मामलों का कभी उजागर ही नही होता और वसूली उद्योग फल फूल रहा होता और इनको कार्यवाही से बचाने ट्रांसफर कर दिया गया है.
ऐसे में ये वरदानी हो गए है अब इस पर कार्यवही कौन करेगी न जिला प्रशासन के पास कोई नीति है और न जनपद के पास कोई नीति थी न शिक्षा विभाग के पास कोई आंकड़ा है न जनपद के पास इसी तरह कलेक्टर बेमेतरा ने सन 2015 मे पूरे नियुक्ति की जांच के लिए जांच दल गठित किए थे साजा जनपद ने जैसे तैसे आधी अधूरी जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था वो विसंगति पूर्ण थी नवागढ़ जनपद ने तो जांच भी शुरू नही किया जिले में जनपद वाले इतने ताकतवर निकले कि कलेक्टर के निर्देशों की धज्जियां उड़ गई और कलेक्टर बेमेतरा मूक दर्शक बनकर देखते रहे.
ऐसी स्थिति में 68 वर्षीय सेवा निवृत्त शिक्षक नारद सिंह राजपूत ने अपने बूढ़े बाजुओं के दम पर बिना जिला प्रशासन के परवाह किये एक नए रणनीति और नए उत्साह से शिक्षा विभाग के संभागीय और राज्य स्तरीय अधिकारियों के समक्ष फर्जीयो की ब्यक्तिगत शिकायत कर कार्यवाही करवाने आमदा है बालोद विभागीय सूत्रों से प्राप्त खबर के अनुसार सात वर्ष पूर्व जनपद साजा द्वारा कार्यवाही से बचाने गजानंद गजेंद्र नामक शिक्षाकर्मी को बालोद जिला ट्रांसफर कर दिया था नारद सिंह राजपूत द्वारा उच्च कार्यालय में शिकायत उपरांत डीईओ बालोद ने अभी कुछ दिनों पूर्व सेवा से पृथक किये है ऐसे ही प्रदेश के सभी जिलों में ब्यक्तिगत शिकायत कर फर्जीयो को उनके अंजाम तक पहुचाया जा रहा है आगे नारद सिंह राजपूत द्वारा बताया गया कि ज्वाइंट डायरेक्टर और डीपीआई के पास सीधे शिकायत करने से कार्यवाही करने और करवाने में उक्त अधिकारियों का अच्छा सहयोग मिल रहा है जिसके चलते ही परिणाम तेजी से मिलना शुरू हो रहा है और आगे भी जिला में शिकायत के बजाय संभाग और राज्य स्तर पर किये जाने की बात कही गई
बेमेतरा ! DNnews-साजा शिक्षा विभाग में जनपद पंचायत के जमाने से लेकर संविलियन उपरांत बीइओ कार्यालय के कालखंड तक शिक्षा विभाग सिस्टम विहीन चल रहा है.नियुक्ति के बाद से लेकर ट्रांसफर से आये और गए शिक्षकों के अभिलेखों का कोई वेरिफिकेशन नही होता. इसी का फायदा उठाकर भोला उपासना लवकुमार मिश्रा रविकांत साहू ज्योत्सना शर्मा भुनेश्वर शुक्ला संगीता शुक्ला जैसे लोग सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर नौकरी कर रहे थे या कर रहे है नियुक्ति के तुरन्त बाद सेवा शर्तों के अनुसार सभी शिक्षाकर्मियों के नियुक्ति के समय आवेदन के साथ प्रस्तुत अंकसूची और प्रमाणपत्रो का वेरिफिकेशन होना था लेकिन आजपर्यंत कोई वेरिफिकेशन नही कराया गया. स्कूल ज्वाइनिंग के समय फर्जियो ने नियुक्ति के अलग अंकसूची और प्रमाणपत्र और स्कूल में कार्यभार ग्रहण करते समय अधिकांश फर्जी शिक्षाकर्मियों ने अलग अंकसूची और प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जबकि नियोक्ता को जो कार्यभार ग्रहण प्रतिवेदन बनाया उसमे नियुक्ति के समय आवेदन में प्रस्तुत अंकसूची प्रमाणपत्र का सरल क्रमांक अनुक्रमांक जारी बोर्ड या संस्था प्राप्तांक प्रतिशत का उल्लेख करना था जो नियोक्ता द्वारा जानबूझकर नही कर एक साजिश किया गया जो नियुक्ति सेवा शर्तों के विपरीत था.
आज यदि सिविल सोसायटी के लोग इन फर्जियो की नियुक्ति का शिकायत नही करते तो विभाग के इन मामलों का कभी उजागर ही नही होता और वसूली उद्योग फल फूल रहा होता और इनको कार्यवाही से बचाने ट्रांसफर कर दिया गया है.
ऐसे में ये वरदानी हो गए है अब इस पर कार्यवही कौन करेगी न जिला प्रशासन के पास कोई नीति है और न जनपद के पास कोई नीति थी न शिक्षा विभाग के पास कोई आंकड़ा है न जनपद के पास इसी तरह कलेक्टर बेमेतरा ने सन 2015 मे पूरे नियुक्ति की जांच के लिए जांच दल गठित किए थे साजा जनपद ने जैसे तैसे आधी अधूरी जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था वो विसंगति पूर्ण थी नवागढ़ जनपद ने तो जांच भी शुरू नही किया जिले में जनपद वाले इतने ताकतवर निकले कि कलेक्टर के निर्देशों की धज्जियां उड़ गई और कलेक्टर बेमेतरा मूक दर्शक बनकर देखते रहे.
ऐसी स्थिति में 68 वर्षीय सेवा निवृत्त शिक्षक नारद सिंह राजपूत ने अपने बूढ़े बाजुओं के दम पर बिना जिला प्रशासन के परवाह किये एक नए रणनीति और नए उत्साह से शिक्षा विभाग के संभागीय और राज्य स्तरीय अधिकारियों के समक्ष फर्जीयो की ब्यक्तिगत शिकायत कर कार्यवाही करवाने आमदा है बालोद विभागीय सूत्रों से प्राप्त खबर के अनुसार सात वर्ष पूर्व जनपद साजा द्वारा कार्यवाही से बचाने गजानंद गजेंद्र नामक शिक्षाकर्मी को बालोद जिला ट्रांसफर कर दिया था नारद सिंह राजपूत द्वारा उच्च कार्यालय में शिकायत उपरांत डीईओ बालोद ने अभी कुछ दिनों पूर्व सेवा से पृथक किये है ऐसे ही प्रदेश के सभी जिलों में ब्यक्तिगत शिकायत कर फर्जीयो को उनके अंजाम तक पहुचाया जा रहा है आगे नारद सिंह राजपूत द्वारा बताया गया कि ज्वाइंट डायरेक्टर और डीपीआई के पास सीधे शिकायत करने से कार्यवाही करने और करवाने में उक्त अधिकारियों का अच्छा सहयोग मिल रहा है जिसके चलते ही परिणाम तेजी से मिलना शुरू हो रहा है और आगे भी जिला में शिकायत के बजाय संभाग और राज्य स्तर पर किये जाने की बात कही गई
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