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नेता जब इतना ही ईमानदार है तो चुनाव में शराब और रूपये बाँटने की क्या जरुरत ? : राजनितिक पार्टिया असल मुद्दे छोड़ पार्टी मजबूती पर ज्यादा ध्यान देते है.
Dinesh Sahu
17-04-2024 01:34 PM
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दिनेश साहू खैरागढ़ ! 9098981250
खैरागढ़ ! DNnews- देश में राजनीती इस कदर हावी है कि भोलेभाले जनता आखिर माजरा समझ नहीं पा रहा है. अधिकांश राजनीती में यह देखने को मिलता है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता असल मुद्दों को छोड़ पार्टी मजबूत करने में लगे रहते है. कई ऐसे नेता है है जो खुद के चेहरा चमकाने और पार्टी को मजबूत बनाने में लगे हुए है. खैर यह बात सही है कि पार्टी मजबूत होगा तो लम्बे समय तक चलेगा। लेकिन यह बात भी समझना है कि लाइफटाइम तक कोई भी राजनितिक पार्टिया सत्ता में टिक नहीं पाती। आज सत्ता का सुख भोग रहे है.तो कल सत्ता किसी और के हाथ में चला जायेगा,
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फिर भी देश के राजनीती को देखकर यह लगता है कि भोले भाले जनता को लुभाने के लिए इनके द्वारा क्या-क्या नहीं किया जाता, कुछ प्रबुद्ध जनो का मानना है की जब देश की राजनितिक पार्टिया जनहित के मुद्दों पर बेहतर काम कर रही है, बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करा रही है, स्वास्थ्य सेवाएं दे रही है, महगाई कम कर रही है. तो चुनाव के दौरान बड़ी-बड़ी सभा कर करोड़ो रूपये खर्च करने की क्या जरुरत। नेता जब इतना ही ईमानदार है तो चुनाव में शराब और रूपये बाँटने की क्या जरुरत ? भोलेभाले जनता इनके चंगुल में फसकर अपना कीमती वोट गलत जगह देते है, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.
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असल मुद्दों पर ऐसे नेता कभी ध्यान नहीं देते, कई नेता ऐसा भी है कि लोगो को मूलभत की जरुरत क्या और कब पड़ती है. मालूम ही नहीं रहता, जबकि राजनीती में यह सही नहीं है, जिस मतदाता ने ईमानदरी के साथ वोट किया है उस मतदाता का ख्याल रखना जनप्रतिनिधियों को होना चाहिए। और इसी उम्मीद से मतदाता अपना मताधिकार का उपयोग करते है. लेकिन चुनाव के ठीक बाद नेताओ का मन बदल जाता है और तेजी से जनता को भूलने लगते है. अधिकतर गॉवो में पानी,सड़क,बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा की बिगड़े हालात को सुधारने की जरुरत है. ज्यातर इन मुद्दों पर सरकार व प्रशासन को काम करने की जरुरत है. लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिलता।
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