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शिक्षा

मनुष्य ही है जो प्रकृति के साथ खिलवाड़ करता है, प्रकृति के सच्चे संरक्षक: पशु-पक्षी और जानवर पशु

Suresh verma

14-04-2025 06:51 PM
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पक्षी और जानवर सभी अपनी सीमाओं में रहते हैं, अनुशासन में रहते हैं। आप देखेंगे कि ये जीव-जंतु कभी भी प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाते।

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लेकिन मनुष्य अपनी सीमाएं लांघ चुका है।

जरूरत से ज्यादा दोहन चाहे वह मिट्टी का हो, पानी का हो या अन्य प्राकृतिक संसाधनों का — सब कुछ मनुष्य ही करता है।जंगलों में जानवर रहते हैं फिर भी वे स्वच्छ और संतुलित रहते हैं। लेकिन जैसे ही कोई हिस्सा पिकनिक स्पॉट बनता है, मनुष्य वहां गंदगी फैलाना शुरू कर देता है।

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> प्लास्टिक डिस्पोज़ल, पत्तलें, दारू की शीशियाँ — सब कुछ बिखरा हुआ दिखता है।

मनुष्य बन गया है प्रकृति का सबसे बड़ा दुश्मन

यह संसार का एकमात्र जीव है जो प्रकृति से खिलवाड़ करता है।

"जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी"

अर्थात माता और धरती माता स्वर्ग से भी बढ़कर हैं...

तो फिर आपने धरती माता को सुंदर, स्वस्थ और खुशहाल रखने के लिए क्या किया?

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भविष्य का खतरा: जल संकट

एक चेतावनी

भयानक और बुरा दिन आने वाला है — सावधान हो जाइए।

जिस दिन पशु-पक्षी और जीव-जंतु ही नहीं, आप भी पानी के बिना मरेंगे...

> शायद आपको मजाक लग रहा हो, लेकिन यही कड़वा सच है।

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अब समय है कुछ जरूरी कदम उठाने का

जल संरक्षण के उपाय

सरकार लंबे समय से जल संरक्षण की अपील करती रही है।

लेकिन हमारी आदत है — जब तक उसमें व्यक्तिगत लाभ न दिखे, हम उस बात को नजर अंदाज़ कर देते हैं।

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> अब ही तो गर्मी शुरू हुई है और खबरें आ रही हैं — “बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं लोग।”

प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार दोनों लंबे समय से जल संरक्षण और वाटर हार्वेस्टिंग की अपील कर रही हैं।

लेकिन लोग ध्यान नहीं देते क्योंकि तात्कालिक लाभ नहीं दिखता।

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लोगों को चाहिए सिर्फ पानी — चाहे वो पीने के लिए हो, नहाने के लिए हो या खेतों के लिए...

प्रशासन चिंता करे — यह मानसिकता बदलनी होगी।

हम अनंत काल से सिर्फ संसाधनों का दोहन कर रहे हैं, बदले में कुछ नहीं दे रहे।

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पुराने समय की सीख

प्राचीन काल में जब साक्षरता दर कम थी, तब भी लोग अपने गाँवों और शहरों के कुएँ, तालाब और नालों की सफाई करते थे।

वे भू-जल स्तर को बढ़ाने में सहायक होते थे।

आज स्थिति यह है कि कुएं और तालाब अंतिम सांसें ले रहे हैं।

लोग सिर्फ उपभोक्ता बन गए हैं। इसलिए अंततः परिणाम भी भयावह ही होंगे।

-- भगवती प्रसाद सिन्हा

शिक्षक

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Suresh verma

Comments (1)

BHAGWATI PRASAD SINHA

BHAGWATI PRASAD SINHA

मेरे विचारों को सुंदर तरीके से लिपिबद्ध करने के लिए आपका हार्दिक आभार दिनेश भाई,शिक्षक समाज का दर्पण होता है।इस लेख को पढ़कर लोगों में अगर जागरूकता आती है तो मुझे खुशी होगी।

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